ऐसा हमारा जीवन हो।
October 11, 2022 ・0 comments ・Topic: Dr_Madhvi_Borse poem
ऐसा हमारा जीवन हो।
संतुष्टि और सहनशीलता हो,इंसान इंसानियत से मिलता हो,
तकलीफ और कांटों के साथ साथ,
सुगंधित पुष्प भी खिलता हो।
जीवन में संघर्ष कितने भी आए,
हर एक से वक्त के साथ जीतते जाए,
हर पथ पर नकारात्मकता को त्यागते हुए,
सकारात्मकता की गीत एकता से गाए।
स्वयं में आत्मविश्वास भरकर,
लाए शांति और प्रसन्नता की लहर,
हम सब एकता का प्रतीक हो,
करें हर आवश्यक कार्य मिलकर।
हो ह्रदय में करुणा,
ना करे किसी से घृणा,
छोटी छोटी बात पर बिखर ना जाए,
स्वभाव में हो हमारा निखरना।
संतुष्टि और सहनशीलता हो,
इंसान इंसानियत से मिलता हो,
तकलीफ और कांटों के साथ साथ,
सुगंधित पुष्प भी खिलता हो।
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