सही मात्रा
September 29, 2022 ・0 comments ・Topic: Jayshree_birmi poem
सही मात्रा
मर जातें हैं बूंद भरमेंजी लेते हैं पी हलाहल
लंबी उम्र जी जाते हैं
सुन तानों का जहर
जहर तेरी फितरत तो बता
क्या सही मात्रा हैं तेरी
ए जहर कुछ तो बता
सुनके जहर बुझे शब्द
बाण मर न जातें हैं सभी
चुभते जहरीले शब्दों को
कैसे सह लेते इन्सान सभी
घर बाहर और नौकरी धंधे
हुए सब अभिमान में अंधे
भूल दया माया को सब ने
विष अपनाया हैं
दृष्टि,शब्द और व्यवहार में
विष क्यों फेल जाता हैं
रिश्तों नातें और दोस्त
भी तो नहीं इससे परे
धर्म और धर्म की होड़ में
मेंरा आगे मेरा बड़ा के नारे
लगाए जातें हैं
मैं मैं से हम में कब हम सब
आ पाएंगे
जीवनपथ में अमृत बेल चढ़ाया करो
चलों विष से तौबा कर
प्यार का इजहार करें
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