राष्ट्रीय माल ढुलाई (लॉजिस्टिक) नीति का शुभारंभ

September 18, 2022 ・0 comments

 राष्ट्रीय माल ढुलाई (लॉजिस्टिक) नीति का शुभारंभ 

दुनियां में आत्मनिर्भर होते भारत की मेक इन इंडिया गूंज का आगाज़ 

राष्ट्रीय माल ढुलाई (लॉजिस्टिक) नीति का शुभारंभ

पीएम गति शक्ति और राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति मिलकर देश को नई ऊंचाइयों पर इतिहास रचने नई कार्य संस्कृति की तरफ ले जा रहा है - एडवोकेट किशन भावनानी 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, परंतु कयास लगाए जा रहे हैं कि शीघ्र ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में तब्दील होने की पूरी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसका सटीक कारण है कि कोविड महामारी के बाद जिस तरह चीते की रफ्तार के साथ नीतियों रणनीतियों पर काम कर उन्हें क्रियान्वित किया जा रहा है उसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसकी गूंज दिख रही है जिसका सटीक उदाहरण हाल में संपन्न हुई 22 वीं बैठक में माननीय पीएम में 70, हज़ार से अधिक स्टार्टअप सहित अनेकों उपलब्धियां गिनाई और भारत विश्व की हर विकास यात्रा रूपी यज्ञ में अपना आहूति रूपी संजीदगी और विशालता से योगदान देने को हर दम तैयार रहेगा ऐसा मेरा मानना है। इसी विकास यात्राकी कड़ी में दिनांक 17 सितंबर 2022 को सुबह कूनो नेशनल पार्क में 120 के/एम प्रति घंटे की रफ्तार वाले नामीबियाई चीतों को समर्पित कर देर शाम नई नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी (राष्ट्रीय माल दुलाई) नीति का शुभारंभ कर अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तरपर तीसरे नंबर तक पहुंचाने की ओर ऐतिहासिक कदम बढ़ा दिए हैं। इसलिए आज हम इस नीति पर पीआईबी की सहायता से इस आर्टिकल के माध्यम से इस नीति पर चर्चा करेंगे। 

साथियों बात अगर हम नई राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति (एनएलपी) की करें तो, एनएपी का सीधा मतलब माल ढुलाई की लागत में कमी लाने से है। लॉजिस्टिक्स वो प्रॉसेस है, जिसके अंतर्गत माल और सेवाओं को उनके बनने वाली जगह से लेकर जहां पर उनका इस्तेमाल होना है, वहां भेजा जाता है। यह दुनिया में आत्मनिर्भर भारत की मेक इन इंडिया गूंज का आगाज है क्योंकि यह नई नीति के साथ पीएम गतिशील नीति मिलकर देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाकर इतिहास रचने नई कार्य संस्कृति की तरफ ले जा रहे हैं,क्योंकि इस नई एनएलपी का प्रभाव हर छोटे से लेकर बड़ी वस्तु पर पड़ेगा क्योंकि हर वस्तु की कीमत में परिवहन लागत जुड़ती है जिसके प्रभाव से कीमतें ऊंची करने में महत्वपूर्ण रोल होता है जो इस नीति के चलते कीमतों में कमी आएगी क्योंकि माल ढुलाई कीमतों में कमी आएगी जिससे ज़ीडीपी पर भी असर पड़ेगा। 

साथियों बात अगर हम माल ढुलाई फैक्टर की करें तो, दरअसल हर देश में जरूरत की हर चीज़ उपलब्ध होना असंभव है।भारत में भी कई ऐसी चीज़ें हैं जिनका बाहर से आयात किया जाता है, इन चीज़ों में आम नागरिकों के लिए खाने-पीने की चीजों से लेकर डीज़ल-पेट्रोल, इंडस्ट्री से जुड़े सामान, व्यापारियों के माल, फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल, उद्योगों को चलाने के लिए ज़रूरी ईंधन और तमाम तरह की चीजें शामिल हैं, इन सभी चीज़ों को एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना होता है। सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर जाने के पीछे एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री और नेटवर्क काम करता है जो चीजों को तय समय पर पहुंचाता है, इस इंडस्ट्री का नाम लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री है। 

साथियों मालूम हो कि भारत में लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई के लिए सड़क और जल परिवहन से लेकर हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है, इसमें काफी बड़ी लागत लगती है, अब ईंधन लागत को कम करने के लिए इस नई नीति को पेश किया गया है, इससे देशभर में माल ढुलाई का काम तेजी से हो सकेगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रीने बताया है कि देश अपनी जीडीपी का 13 से 14 फीसद भाग लॉजिस्टिक्स पर खर्च कर देता है जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश केवल 8 से 9 फीसदी ही खर्च करते हैं. इस नीति से अब देश के लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को भी मजबूती मिलेगी और साथ ही खर्च भी कम होगा।

साथियों बात अगर हम नई राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति के उद्देश्यों की करें तो, लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री का मुख्य काम जरूरी सामानों को एक जगह से दूसरी जगह तय समय सीमा तक पहुंचाना होता है, इन सभी सामानों को विदेश से लाना, उसे अपने पास स्टोर करना और फिर डिलीवरी वाली जगह पर उसे तय समय पर पहुंचाना इस इंडस्ट्री की जिम्मेदारी है, इस बीच इंडस्ट्री पर ईंधन खर्च का बहुत भार पड़ता है। इसके अलावा, सड़कों की अच्छी सेहत, टोल टैक्स और रोड टैक्स के साथ-साथ अन्य कई चीजें भी इस इंडस्ट्री को प्रभावित करती हैं. इन्हीं सब फैक्टर्स को लेकर सरकार विगत तीन वर्षों से काम कर रही था, साथ ही, रोजगार के अवसर पैदा कर छोटे और मंझले उद्यमों को बढ़ावा दिया जाना है. इस नीति के तहत लॉजिस्टिक सेक्टर में लागत को अगले 10 सालों के भीतर 10 प्रतिशत तक लेकर आना है। हालांकि अभी यह लागत कुल 13 से 14 प्रतिशत तक है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस सेकटर में 44 वें स्थान पर है। इसमें जर्मनी पहले स्थान पर है जो ईंधन खर्च सबसे कम करता है, वहीं लॉजिस्टिक्स खर्च के मामले में अमेरिका 14वे और चीन 26वे स्थान पर है। 

साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा दिनांक 17 सितंबर 2022 को नई राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति के शुभारंभ पर संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने कहा, आज़ादी के अमृतकाल में आज देश ने विकसित भारत के निर्माण की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारत में लास्ट माइल डिलीवरी तेजी से हो, ट्रांसपोर्ट से जुड़ी चुनौतियां समाप्त हो, हमारे मैन्यूफैक्चर्स का, हमारे उद्योगों का समय और पैसा दोनों बचे, उसी प्रकार से हमारा जो एग्रो प्रोडक्ट है। विलम्ब के कारण उसकी जो बर्बादी होती है। उससे हम कैसे मुक्ति प्राप्त करें? इन सारे विषयों का समाधान खोजने का एक निरंतर प्रयास चला है और उसी का एक स्वरूप है आज नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी, और मुझे पक्का विश्वास है कि हमारी इन सारी व्यवस्थाओं में सुधार के लिए और इस क्षेत्र में काम करने वाली सरकार की अलग-अलग इकाईयों के बीच में भी एक समन्वय स्थापित होगा। हॉलिस्टिक एप्रोच रहेगा। और उसका परिणाम हम जो गति चाहते हैं, उस गति को मिलेगा।

उन्होंने कहा नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी को सबसे ज्यादा सपोर्ट अगर किसी से मिलने वाला है, तो वो है पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान। मुझे खुशी है कि आज देश के सभी राज्य और केंद्रशासित हमारी इकाईयां सब के सब इससे जुड़ चुके हैं और लगभग सभी विभाग एक साथ काम करना शुरु कर चुके हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के अलग अलग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से जुड़ी जानकारियां उसका एक बहुत बड़ा डेटाबेस तैयार हो चुका है। आपको ये जानकर के हैरानी होगी कि आज केंद्र और राज्य सरकारों से करीब-करीब डेढ़ हजार लेयर्स यानि 1500 लेयर्स में डेटा, पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर आ रहा है। कहां कौन से प्रोजेक्ट हैं, कहां फोरेस्ट लैंड है, कहां डिफेंस लैंड है, इस तरह की सारी जानकारी एक एकल जगह पर आने लगी है। इससे इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग बेहतर हुई है, क्लीयरेंस तेज हुई है और जो बाद में समस्याए ध्यान में आती थीं उसका समस्याओं का समाधान कागज पर ही पहले से पक्का हो जाता है। हमारे आधारभूत ढांचा में जो गैप्स होते थे, वो भी पीएम गतिशक्ति की वजह से तेजी से दूर रहे हैं। अब भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर से उलझनें समाप्त होंगी, उम्मीदें बढ़ेंगी, ये सेक्टर अब देश की सफलता को नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा। एनएलपी में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की, कारोबार के विस्तार की और रोजगार के अवसर बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। हमें इन संभावनाओं को मिलकर साकार करना है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति का शुभारंभ हुआ है।दुनिया में आत्मनिर्भर होते भारत की मेक इन इंडिया गूंज का आगाज़ हो रहा है।गति शक्ति और राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति मिलकर देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाकर इतिहास रचने नई कार्य संस्कृति की तरफ ले जा रहे हैं। 

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Kishan sanmukh

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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