मेघा रे

 मेघा रे

डॉ. इन्दु कुमारी
डॉ. इन्दु कुमारी


 मेघा रे कहां तक तुझे जाना रे

 मेरे संदेश को ले जाना रे 

 जिन राहों से गुजरो गे

 वही पिया का डेरा रे 

गरज गरज उन्हें ना बुलाना 

प्यार से संदेशा पहुंचाना रे 

मेघा रे कहां तक तुझे जाना रे।


 हिम पर्वत के नीचे 

जंगलों के बीचो बीच

होकर जब जाओगे 

वही है हुनकर ठिकाना रे 

पाती प्रेम की पहुंचाना रे

 प्यार से फुहार बरसाना रे 

मेघा रे कहां तक तुझे जाना रे।


 मेघा रे अपनी जलवा 

ना दिखाना रे 

हमारी संदेशा पहुंचाना रे 

अपने नगाड़े की आवाज से 

ना डराना रे धमकाना रे 

वह तो बड़े कोमल है 

बांसुरी बन जाना रे 

मेरी संदेशा को पहुंचाना रे 

मेघा रे कहां तक तुझे जाना रे।

डॉ. इन्दु कुमारी 

             मधेपुरा बिहार

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