कर्म से लिखे आत्मकथा!

कर्म से लिखे आत्मकथा!

माध्वी बोरसे!
माध्वी बोरसे!

लिखें हमारे जीवन की कहानी,
साहस,दृढ़ता हो इसकी निशानी,
कलम से नहीं कर्म से लिखें,
हमारा जीवनी भी प्रेरणादायक दिखे!


इस जीवन के खेल में बने हम खिलाड़ी,
चढ़े हर बड़ी से बड़ी आपत्ती की पहाड़ी,
इंसानियत हो इसकी स्याही,
करें हम ऐसी इसकी चित्रकारी!


माना कि सब हमारे हिसाब से नही,
मजबूती से हर प्रतिक्रिया करे सही,
किसी के अपशब्द और संस्कारों को ना अपनाएं,
अपने जीवन को अपने उच्च विचारों से बनाएं!


जब भी कोई पड़े हमारे जीवन की गाथा,
वीरता और परिश्रम से भरी हो हमारी दास्तां,
हर किस्सा हो हिम्मत से भरपूर,
इस व्याख्या में हो आत्मविश्वास का सुरूर!


स्वाभिमान से भरा हो हर एक फसाना,
याद रखें इसे भी जमाना,
हम भी हैं इस जीवन के रचयिता,
स्वाभिमान की राह पर चलकर, बनजाए विजेता!


लिखें हमारे जीवन की कहानी,
साहस,दृढ़ता हो इसकी निशानी,
कलम से नहीं कर्म से लिखें,
हमारा जीवनी भी प्रेरणादायक दिखे!


कवियत्री माध्वी बोरसे!
(स्वरचित व मौलिक रचना)


राजस्थान (रावतभाटा)

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