जरूर लड़े!
June 24, 2022 ・0 comments ・Topic: Dr_Madhvi_Borse poem
जरूर लड़े!
डॉ. माध्वी बोरसे! |
लड़ना है तो अपने क्रोध से लड़े,
अपने अंदर के अहंकार से लड़े,
स्वयं को मजबूत और हिम्मती बनाएं,
अपनी हर कमजोरी से लड़े!
अपने बुरे वक्त से लड़े,
अपनी गलत आदतों से लड़े,
स्वयं में आत्मविश्वास लाएं,
अपने हर डर से लड़े!
हर एक मुश्किल से लड़े,
अपनी नकारात्मक सोच से लड़े,
स्वयं में सकारात्मक सोच लाए,
घनघोर अंधेरे से लड़े!
अंधविश्वास और कुरीतियों से लड़े,
दकियानूसी सोच से लड़े,
स्वयं के अंदर नम्रता लाकर,
प्रेम और इंसानियत से लड़े!
हम शिक्षित है यह याद रखकर लड़े,
मानवता का स्मरण करके लड़े,
पशुओं की तरह हाथापाई ना करते हुए,
इंसानों की तरह शिष्टाचार से लड़े!
लड़ना है तो अपने क्रोध से लड़े,
अपने अंदर के अहंकार से लड़े,
स्वयं को मजबूत और हिम्मती बनाएं,
अपनी हर कमजोरी से लड़े!

डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)
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