तन्हा सी!!!!

 तन्हा सी!!!!

अनिता शर्मा झाँसी
अनिता शर्मा

भीड़ में तन्हा-तन्हा सी,

कुछ सकुचाई कुछ शरमाई।


कह न सकी दिल की बातें,

मन ही मन सब बोल दिया।


नजरों ने सब जज्बात पढ़े,

आंखो से जुड़े बातों के तार।


लब फिर भी खामोश रहे,

कुछ सकुचाई कुछ शरमाई।


नजरें उठती गिरती प्रतिक्षण,

शीश झुका लौटी प्रति क्षण।


इक प्रीत निराली मन ही मन में,

दुनिया की चकाचौंध से दूर रही।


हाँ सकुचाई कुछ शरमाई सी,

भीड़ भाड़ में तन्हा सी।।

----अनिता शर्मा झाँसी

----मौलिक रचना

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