खालसा-हरविंदर सिंह ''ग़ुलाम'''
June 05, 2022 ・0 comments ・Topic: Harvindar_singh_Gulam poem
खालसा
अंतर्मन में नाद उठा है
कैसा ये विस्माद उठा है
हिरण्य कश्यप के घर देखो
हरी भक्त प्रह्लाद उठा है
जब जब हुआ अहम् में अँधा
कोई नृप दुनियाँ ने देखा है
किया धर्म पर दूषण भरी
फिर मन में अवसाद उठा है
जब जब भरी सभा में कोई
चीर हरण का यत्न करेगा
फिर निर्बल की रक्षा हेतु
कृष्ण चक्र बिन अपवाद उठा है
सदियों से देखा है हमने
क्यों मानस ने मानस को मारा
वसुधैव कुटुंब करने हेतु
कर खालसा पंथ सिंहनाद उठा है
हरविंदर सिंह ''ग़ुलाम'''
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