कहाँ गया बड़ों के नाम के आगे का "श्री" ?
गौरव हिन्दुस्तानी(बरेली, उत्तर प्रदेश ) |
मैंने इसके कारण के बारे में जानने का प्रयास किया और विश्लेषण किया तब यह पाया कि अधिकांशतः किसी भी प्रकार का ऑनलाइन फॉर्म (चाहें सरकारी फॉर्म हो या फिर किसी भी प्राइवेट संस्था का फॉर्म ) भरते समय वहाँ पिता के नाम आगे का श्री नहीं भरवाते हैं यहाँ तक कि साफ़ मना कर देते हैं कि श्री, श्रीमती न लगाएँ। क्या यह सभ्यता, संस्कारों का हनन नहीं है ? क्या यह संस्कारों के पहले पाठ की मृत्यु नहीं है ?
फेसबुक, ट्विटर एवं यूट्यूब आदि जैसी सोशल मीडिया वेबसाइट पूरी दुनिया का डेटा व्यवस्थित कर रहीं हैं तो क्या "श्री" को व्यवस्थित करने में इतनी समस्या आती है कि उसको सभी फॉर्म से हटा दिया गया है। हमें ऐसी असहनीय त्रुटियों के लिए आवाज उठानी चाहिए। यदि ऐसे ही संस्कारों के पहले पाठ में ही फ़ेरबदल होते रहे फिर आगामी पीढ़ी को नैतिक शिक्षा के अर्थ को समझाना बहुत जटिल हो जायेगा। यदि वास्तव में हम अपनी संस्कृति, अपने बच्चों में संस्कारों को बचाये रखना चाहते हैं तब हमें ऐसी भूल सुधारनी होगी तथा किसी भी सरकारी एवं प्राइवेट संस्था के फॉर्म में अपने बड़ों के नाम के आगे "श्री" लगाने के कॉलम की माँग करनी होगी
गौरव हिन्दुस्तानी(बरेली, उत्तर प्रदेश )
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