स्वयं को पहचाने!
April 27, 2022 ・0 comments ・Topic: Dr_Madhvi_Borse poem
स्वयं को पहचाने!

चलो आज स्वयं को पहचाने,
अपनी कमजोरियों को जाने,
जग की आलोचना बहुत की,
अब खुद को भी दे, थोड़े ताने!
कितने फेसिले, कितने संभले,
स्वार्थ में कितने किए हमले,
नजर डाल के खुद पर,
देखे हमारे सूखे गमले!
दूसरों की आलोचना में,
कितना हमने सुख लिया,
अब हमको सोचना है,
स्वयं को भी कितना दुख दिया!
चलो स्वयं पर डाले प्रकाश,
खुद से मिलने का करे प्रयास,
स्वयं में झांके, स्वयं को पहचाने,
स्वयं को सुधारे, स्वयं को जाने!
स्वयं की सकारात्मकता,
स्वयं को परखती,
स्वयं में जागरूकता,
स्वयं की शक्ति,
अपने जीवन में खुशियों की बहार लाए,
स्वयं को बेहतरीन से बेहतरीन इंसान बनाएं!!

डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.