नव वर्ष सुहानी- डॉ.इन्दु कुमारी

April 18, 2022 ・0 comments

नव वर्ष सुहानी

नव वर्ष सुहानी-  डॉ.इन्दु कुमारी
आम्र मंजरों से से लदे हुए
फल फूलों से सजे हुए
कली कुसुम मुस्कान भरे हैं
कोयल सुर में तान भरे हैं
नव पल्लव कैसे झूम रहे हैं
हवाएं अपनी मस्त वेग से
जैसे गगन को चूम रहे हैं
नदियां बलखाती चलती
दिल में मिलन की लगन लगी है
मस्त बहारें प्रेम धुन में
मस्ती के गाने गा रहे हैं
चिड़िया की है शान निराली
कितनी लगती प्यारी-प्यारी
नववर्ष की वेला सुहानी
लगती है जैसे मस्तानी
नव वर्ष लाई इतनी सौगाते
प्रेम की बरसे है फुहारे
फल फूलों के बाग बगीचे
लग रहे हैं बड़े सुहावने
धरती अन्नपूर्णा कहलाती
फसलें पककर खलिहान सजाती
कृषकों के होठों की मुस्कान
नव वर्ष को है खूब सजाती
गांव की गोरी चैती गाती
खुशियों से जीवन सज जाती
ऐसे नववर्ष आए हैं
खुशियों के तराने गाए हैं।

डॉ.इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार

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