मोहब्बत ए परवाना
April 27, 2022 ・0 comments ・Topic: poem Veena_advani
मोहब्बत ए परवाना
कहते हैं वो मोहब्बत ए परवाने , इस अंजुमन में रखा क्या हैतेरे हुस्न दीदार के बिना बता सनम अंजुमन में मज़ा क्या है।।
अपने नशीले लबों को , हमें देख , तेरा लबों को दबाना
बता लबों कि लाली के कातिलाना रंग कि रज़ा क्या है।।
तेरी कज़रारी नैनों में बिखरता या काला सा काजल
कहती हो कज़रारी नैंनों में, मैं ना डूबूं , बता सजा क्या है।।
सहलाना चाहता हूं तेरी घनी जुल्फों के ये घने बादल
सहलाने नहीं देती क्यों ये जुल्फ़े तुम , बता वज़ह क्या है।।
तेरे इस जिस्म़ की , महक संग , मैं महक बहकना चाहता
कहती हो कोई देख लेगा , तो देखने दो , इसमें खता क्या है।।
कह देंगे इस जमाने को तेरी मोहब्बत में तेरे परवाने हम
तेरा परवाना ना कहलाऊं , एसा न हो तो ये मोहब्बत क्या है ।।
वीणा के तारों से सुर को कोई भी अलग ना कर सकता
वीणा के सुर के बिना बता , वीणा में कोई साज़ क्या है।।
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर , महाराष्ट्र
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