ईर्ष्या तू ना गई
देखकर लोगों की सुख-सुविधाजल रही तू खूब जलन से
अपनी दुख की चिंता नहीं है
दूसरों के पीछे पड़ी मगन से
ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से
ईर्ष्या की बेटी है निंदा
करती सदा दूसरों की चिंता
शांत घर में आग लगाती
यह उन्हीं की है धंधा
गड़े मुर्दे उखाड़े जतन से
ईर्ष्या तू ना गई मेरे मन से
ईर्ष्या का अनोखा वरदान
तुलना दूसरों से करते नादान
ईर्ष्यालु से बढ़कर कोई नहीं
जो बढे आगे ,पीछे पड़े
वह सब कामकाज छोड़कर
हानि पहुंचाना कर्म श्रेष्ठ समझे
ईर्ष्या का संबंध प्रतिद्वंदिता
भिखारी जलते नहीं करोड़पति से
ईर्ष्या तू न गई मेरे मनसे
ईर्ष्यालु व्यक्ति भिन-भिनाती
मक्खियां की तरह अकारण
हीं भिनभिनाया करती
सच में यह बीमार व्यक्ति है
जिनका चरित्र उन्नत है
ह्रदय निर्मल विशाल है
चिढ़ते नहीं बेचारे के चिढ़न से
ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से
नए मूल्यों के निर्माण है करना
नित्से का मानो कहना
इन बेचारों से क्या चिढना
कर्म पथ पर आगे बढ़ना
अभाव ईर्ष्यालु बनाता है
रचनात्मक शैली अपनाओ जतनसे
इंदु ईर्ष्या जाएगी मनसे
ईर्ष्या तू जा मेरे मन से।
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com