गम की बदली
April 26, 2022 ・0 comments ・Topic: Bhawna_thaker poem
'गम की बदली'
मैं गमों से भरी सराबोर बदली हूँ बरसना मेरी फ़ितरत है, यूँ तरस खाकर पौंछिए नहीं रहने दीजिए यह अविरत बहते रहेंगे कब तक जद्दोजहद करेंगे ..
"यह अश्कों की धारा नहीं मेरी तथ्यहीन आँखों का पहला और आख़री प्यार है मेरी व्यथाओं का सार है"
यह बूँदें दर्द की ख़लिश नहीं वैभव है मेरी आँखों का, मिले है ईश के आशीष से जन्मी तब से मेरे साथ है..
वेदना का अंबार नहीं साथी है मेरी तन्हाई के, ये महज़ आँसू नहीं रात के आलम में नींद से जूझते गमों की गिनती करते कट रहे लम्हों के संगी है..
न बह सकी मजबूरी में कुछ बूँदें अपनों की खुशियों की ख़ातिर उस बूँदों का प्रतिबिम्ब और ख़्वाबगाह के भीतर खेलती पुतलियों की रंगत है..
मत मिटाईये मेरी खुशियों को यही तो मेरी पहचान है, मेरी ज़िस्त की तरह बेरंग सी बूँदें मेरी अँखियन को बहुत अज़िज है।
भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर
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