निर्णय क्षमता को विकसित करना सफ़ल जीवन की कुंजी
जीवन में समय के साथ अपडेट रहने से निर्णय क्षमता विकसित करने में आसानी होती है
सफ़लता के लिए समय पर सही निर्णय लेना ज़रूरी - हम स्वयं पर भरोसा रख भविष्य के लिए बड़े निर्णय ले सकते हैं - एड किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर निर्णय एक ऐसी क्रिया है जो करीब -करीब हर व्यक्ति के जीवन में आती ही है। चाहे वह सर्वोच्च शिखर पर बैठा परम बौद्धिक क्षमता में निपुण व्यक्ति हो या अंतिम छोर की अंतिम पंक्ति में बैठा सामान्य से सामान्य व्यक्ति हो!! हालांकि इसके अपवाद स्वरूप में मानसिक अस्वस्थ व्यक्ति है। उस निर्णय क्रिया में अपने अपने स्तर पर स्थितियों, परिस्थितियोंके अनुसार व्यक्तिगत सार्वजनिक, प्रशासनिक, सरकार, पार्टी, राजनीतिक दिशा, चुनाव सहित हर संस्था, संगठन शामिल हैं जिन्हें अनिवार्य रूप से इस क्रिया से दो चार होना पड़ता है यह रेखांकित करने वाली बात है!!
साथियों बात अगर हम निर्णय का बैकग्राउंड समझने के लिए उसकी परिभाषा की करे तो अनेक बुद्धिजीवियों ने विस्तार से समझाया है उससे निष्कर्ष निकलता है कि निर्णय लेना रचनात्मक, मानसिक, बौद्धिक, कौशलता का वह केंद्र बिंदु है जहां कार्यपूर्ति के लिए उपलब्ध विकल्पों या बिना विकल्पों के ज्ञान, विचार, भावना, कल्पना, जनहित में सटीक व सार्वजनिक सर्वोत्तम सिद्ध हो ताकि भविष्य में उसकेदूरगामी अनुकूलतम सकारात्मक परिणाम पारदर्शिता से देखे जा सके। सार्वजनिक निर्णय प्राय नीति, नियम, आदेश, निर्देश के रूप में व्यक्त होते हैं।
साथियों बात अगर हम व्यक्तिगत जीवन में निर्णय की करें तो यह भी करीब-करीब हर व्यक्ति के जीवन में अनेक स्थितियों में ऐसा पल आता है जहां हमें निर्णय लेना होता है बस!!! यही निर्णय हमारे जीवन की दिशा को तय करता है थोड़ी सी भी चूक दीर्घकालीन समस्या का कारण बन सकती है इसलिए ही निर्णय के लिए हमें अपने निर्णय क्षमता का विकास करना तात्कालिक ज़रूरी है क्योंकि निर्णय क्षमता को विकसित करना ही सफल जीवन की कुंजी है इसके लिए हमें जीवन में समय के साथ साथ अपडेट रहना ज़रूरी है जिसके किसी भी पल, स्तर पर हमें निर्णय करने में आसानी होगी क्योंकि दीर्घकालीन सफ़लता के लिए समय पर सही निर्णय लेना जरूरी है।
हालांकि हम अनेक अपनों से अनेक बातों पर सलाह मशवरा करते हैं परंतु निर्णय स्वयं लेना समय की मांग है क्योंकि स्वयं पर भरोसा रख भविष्य के बड़े निर्णय लेने के लिए हमें निर्णय क्षमता को विकसित करने को रेखांकित कर निम्न बातों पर ध्यान देना होगा (1)लक्ष्य का निर्धारण (2) विकल्पों का निर्धारण (4) समस्याओं का विश्लेषण और उपलब्ध जानकारी का अध्ययन (5) संपूर्ण कारकों की पहचान (6) नैतिक निर्णय लेने का कौशल (7) जोखिम व अनिश्चितता का अध्ययन (8) समय का तकाजा (9)दूरगामी परिणाम (10) निर्णय के विषय संबंधी आवधिक घटनाओं का पूर्वानुमान सहित अनेक ऐसे कारक हैं जिस पर एक नज़र डालकर निर्णय क्षमता में विकास और निर्णय लेने में आसानी को अंजाम दिया जा सकता है
साथियों बात अगर हम निर्णय में भावुकता और असहजता की करें तो, हम जो भी काम करते हैं, उसमें हमारी भावनाएं अहम भूमिका निभाती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेते वक्त अपनी भावनाओं की अनदेखी नहीं करें। अगर आप बहुत ही ज्यादा भावुक महसूस कर रहें हैं तो उस वक्त कोई भी निर्णय लेने से बचें। निर्णय लेने को कुछ देर के लिए टाल दें। अकसर भावनाओं की रौ में बहकर हम गलत निर्णय ले लेते हैं। ऐसा करने से बचें। जब आप भावनात्मक रूप से संतुलित महसूस करें, तभी शांत दिमाग और शांत मन से निर्णय लें। ऐसा करने से आपके फैसलों के गलत साबित होने की आशंका कम हो जाएगी।
साथियों कोई निर्णय लेते वक्त अगर आप उसके बारे में असहज़ महसूस कर रहें हैं तो फिर वह निर्णय नहीं लें। कोई भी निर्णय लेना मानसिक और शारीरिक रूप से थकावट भरा काम होता है। सिर्फ इस वजह से ही आप शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से थकावट महसूस कर सकते हैं। अगर कोई बात आपको पहलेसे ही इतना परेशान कर रही है तो बेहतर होगा कि आप खुद को इस कुचक्र में फंसाए ही नहीं। अगर किसी विषय के बारे में असहज महसूस कर रहें हैं तो उस निर्णय को कुछ देर के लिए टाल दें।
साथियों बात अगर हम निर्णय में विकल्पों और नज़रिए विचारों की करें तो, जब आप किसी निर्णय पर पहुंचते हैं, तो आपके दो तरह के विकल्प होने चाहिए। अगर एक विकल्प सफल न हो सके तो आप दूसरे विकल्प पर विचार कर सके। ऐसा तभी होगा जब आप अपने दिमाग को खुला रखेंगे और हर विचार पर गौर करेंगे। इसके साथ ही स्वयं पर भरोसा करना भी सीखें। अमरीकी अध्ययन के अनुसार निर्णय लेने की क्षमता को तभी विकसित किया जा सकता है, जब व्यक्ति को स्वयं पर भरोसा हो। आप कॉन्फिडेंट रहेंगे तो भविष्य के लिए बड़े निर्णय ले सकते हैं।
अगर आप स्वयं के नज़रिए पर ध्यान देते हैं तो आप न केवल तनाव से बाहर निकल सकते हैं, बल्कि दूसरों के विचारों को भी बदल सकेंगे। दरअसल, जब तक आप स्वयं के नज़रिए पर ध्यान नहीं देंगे तो आप पर हमेशा अन्य लोगों के विचार ही हावी रहेंगे। इस तरह आप यह भी जज नहीं कर पाएंगे कि आपके लिए क्या सही है और क्या गलत।
साथियों बात अगर हम निर्णय और उसमें आने वाली बाधाओं की करें तो, निर्णय लेने की जटिलता तब बढ़ जाती है, जब आपके पास पर्याप्त सूचनाएं न हो। ऐसे में निर्णय लेने का काम एक कठिन टास्क होगा। इसके अलावा यदि आपके विचारों में स्थिरता नहीं है तो भी किसी तरह के निर्णय पर पहुंचना मुश्किल होगा। वर्किंग के दौरान किसी समस्या पर यदि आप नकारात्मक विचारों से घिर जाते हैं तो ऐसे में निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होगी। इसलिए उन फैक्टर्स पर ध्यान दें जो आपके निर्णय लेने की क्षमता को कमजोर बनाते हैं।
साथियों निर्णय लेना आसान काम नहीं होता। फिर चाहे निर्णय छोटा हो या बड़ा। निर्णय लेने की हमारी क्षमता को कई चीजें प्रभावित करती हैं। अनूठी बात यह है कि अकसर हम इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ होते हैं। यह सच है कि हमारा प्रत्येक निर्णय हमारी जिंदगी को एक ही तरह से प्रभावित नहीं करता है, पर इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम दैनिक जीवन में लिए जाने वाले छोटे-मोटे निर्णयों को लेकर उदासीन रवैया अपनाना शुरू कर दें। इसलिए अब से फिर चाहे खाने का मेन्यू तय करना हो या फिर नौकरी के लिए दूसरे शहर जाने का फैसला हो, गलत फैसला लेने से बचने के लिए निर्णय लेते वक्त कुछ बातों को जरूर ध्यान में रखें।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि निर्णय क्षमता को विकसित करना सफल जीवन की कुंजी है। जीवन में समय के साथ अपडेट रहने से निर्णय क्षमता विकसित करने में आसानी होती है तथा सफ़ल जीवन के लिए समय पर सही निर्णय लेना ज़रूरी है। स्वयं पर भरोसा रख भविष्य के लिए बड़े निर्णय ले सकते हैं।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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