हम अपनी जड़ों को भूल ना जाए

March 26, 2022 ・0 comments

कविता
हम अपनी जड़ों को भूल ना जाए

हम अपनी जड़ों को भूल ना जाए
पारंपरिक कला शैलियों को कायम रखने
हम ऐसा मिलकर रास्ता अपनाएं
बेहतर जिंदगी की तलाश में
हम अपनी जड़ों को भूल ना जाएं

हम देख रहे हैं कैसे शहरीकरण स्वदेशी
लोककला शैलियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं
बड़े बुजुर्गों की बातों को छोड़
पाश्चात्य संस्कृति अपना रहे है

आओ साथ मिलकर जन जागरण कराएं
हमारी परम्पाओं कलाकृतियों में आस्था दर्शाए
लड़ना होगा हमें पाश्चात्य संस्कृति से
हम अपनी जड़ों को भूल ना जाएं

भारत संस्कृति का ख़जाना है यह कम ना हो पाए
घरघर में भारतीय संस्कृति अपनाने मंत्र दिलाएं
बच्चों में भारतीय संस्कृति के प्रति प्रोत्साहन
करवाएं हम अपनी जड़ों को भूल न जाएं

लेखक- कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, कानूनी लेखक, 
चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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