कविता -मां की ममता
March 25, 2022 ・0 comments ・Topic: kishan bhavnani poem
कविता-मां की ममता
मां की ममता मिलती हैं सबकोकोई अच्छूता नहीं
कद्र करने की बात है,
कोई करता कोई नहीं
मां का आंचल अपने सपूतों के लिए
हरदम खुला बंद नहीं
अपनी तकलीफों दुखों से घिरी
पर ममता की छांव हटाई नहीं
चार बातें कड़वी भी सुनीं तुम्हारी
पर ममता की छांव हटाई नहीं
तुमने कद्र भले की हो या नहीं
पर मां ने ममता घटाई नहीं
मां की ममता मिलती हैं सबको
कोई अच्छूता नहीं
कद्र करने की बात है
कोई करता कोई नहीं
हैं ऐसे भी कुछ लोग मां की ममता का
आंकलन करते नहीं
बस दिखावे में जीतें हैं मां की ममता
का सम्मान करते नहीं
समझ लो ऐसे लोगों, मां की ममता
नसीब करेगा भगवान भी नहीं
बस मां की ममता आंचल में समाए रहो
फिर पूजा पाठ की जरूरत नहीं
मां की ममता मिलती हैं सभको
कोई अच्छूता नहीं
कद्र करने की बात है
कोई करता कोई नहीं
लेखक - साहित्यकार, स्तंभकार, कर विषेज्ञ, कानूनी लेखक,
चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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