विश्व टीबी (क्षय रोग) दिवस 24 मार्च 2022 पर विशेष
विश्व नें जानलेवा बीमारी टीबी के पूर्ण उन्मूलन के लिए वर्ष 2030 जबकि भारत ने 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है
कोविड-19 महामारी ने टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न की - विश्व टीबी दिवस 2022 की थीम- टीबी को समाप्त करने निवेश करें, जीवन बचाएं, सराहनीय - एड किशन भावनानी
गोंदिया - मानव जीवन को सृष्टि में बचाए रखने, आयु सीमा बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तरपर कई महामारियों, बीमारियों, संक्रमण बीमारियों से सभी देश एक साथ मिलकर गंभीरता से रेखांकित कर जांबाज़ी, ज़ज्बे, संकल्प से जनजागरण आंदोलन चलाकर वैश्विक स्तरपर मनीषियों को जागृत करना होगा तथा अपने अपने देशों की सरकारों को जांच, इलाज, टीकाकरण में गंभीरता से सहयोग देना होगा तभी हम ईश्वर अल्लाह द्वारा बनाई इस अनमोल सृष्टि में मानव जीवन की रक्षा और आयु सीमा बढ़ाने के प्रयास में सफ़ल होंगें। जनजागरण के लिए स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संकलित की गई है।
साथियों बात अगर हम टीबी रोग दिवस 24 मार्च 2022 को मनाने की करें तो यह दिन, विश्व टीबी दिवस के तौर पर जाना जाता है। इस दिन प्रतिवर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के तत्वाधान में पूरे विश्व में टीबी से संबंधित कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिसका उद्देश्य इस वैश्विक बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना और इसे खत्म करना है। 1882 में 24 मार्च के दिन जर्मन फिजिशियन एवं माइक्रोबायोलॉजिस्ट रॉबर्ट कोच ने इस जानलेवा बीमारी के कारक बैक्टीरिया के पहचान करने की पुष्टि की थी, जिसके फलस्वरूप टीबी के निदान और इलाज में बड़ी मदद मिली। साधारण भाषा में टीबी को हम क्षयरोग अथवा तपेदिक के नाम से जानते हैं। विश्व टीबी दिवस, हर वर्ष एक विशेष थीम के साथ आयोजित किया जाता है एवं वर्ष 2022 के लिए इसकी थीम टीबी को समाप्त करने निवेश करें- जीवन बचाएं, रखी गई है।
साथियों बात अगर हम टीबी संक्रमण रोग के उन्मूलन लक्ष्य की करें तो, जहां एक ओर दुनिया ने वर्ष 2030 को इस जानलेवा बीमारी टीबी के पूर्ण उन्मूलन के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं भारत का संकल्प वर्ष 2025 तक इस उद्देश्य को हासिल करने का है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में हर दिन औसतन 4 हज़ार लोगों की मौत सिर्फ इस जानलेवा बीमारी के चलते हो जाती है। भारत इस बीमारी से सर्वाधिक प्रभावित एशियाई देश रहा हैं।
साथियों बात अगर हम टीबी रोग उन्मूलन कार्यक्रम को कोविड-19 महामारी द्वारा क्षति पहुंचाने और उसे उस संबंधित थीम रखी गई है क्योंकि, टीबी के खिलाफ लड़ाई को बढ़ाने और वैश्विक नेताओं द्वारा की गई टीबी को समाप्त करने की प्रतिबद्धताओं को हासिल करने के लिए संसाधनों का निवेश करने की तत्काल आवश्यकता को व्यक्त करता है| यह विशेष रूप से कोविड -19 महामारी के संदर्भ में महत्वपूर्ण है जिसने टीबी की प्रगति को खतरे में डाल दिया है| अधिक निवेश से लाखों और लोगों की जान बच सकती है, जिससे टीबी महामारी को पूरी तरह से खत्म करने के प्रयासों में तेजी आएगी।
हालांकि एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी ने टीबी को समाप्त करने की लड़ाई में वर्षों की प्रगति पर असर डाला है| एक दशक में पहली बार, 2020 में टीबी से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई। वैश्विक ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) महामारी को समाप्त करने के प्रयासों को बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष एक दिन विश्व टीबी डे मनाया जाता है।
साथियों बात अगर हम संक्रमण रोग टीबी को गंभीरतासे रेखांकित करने की करें तो, टीबी अर्थात ट्यूबरक्लोसिस एक संक्रामक रोग होता है, जो बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है। जब हम सांस लेते हैं, खांसते या छींकते है तो उसके बैक्टिरिया काफी समय तक हवा में मौजूदग रहते हैं।इन्हीं बैक्टिरिया के कारण टीबी का रोग होता है। यह बैक्टिरिया हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देते हैं। जिसके कारण टीबी का मरीज कमजोर होता जाता है।
टीबी का बैक्टिरिया ज्यादातर फेफड़ों में ही पाया जाता है। मगर इसके अलावा आंतों, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय भी टीबी से ग्रसित हो सकते हैं। क्षयरोग को कई नामों से जाना जाता है जैसे टीबी तपेदिक, ट्यूबरकुलासिस, राजयक्ष्मा, दण्डाणु इत्यादि नामों से जाना जाता है। टी.बी से ग्रसित व्यक्ति बहुत कमजोर हो जाता है और इसके साथ ही उसे कई गंभीर बीमारियां होने का डर भी रहता है। टी.बी. एड्स, मधुमेह और कमजोर लोगों को अधिक होता है। क्षयरोग सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करते हैं। जिससे बचाव करना आवश्यक है। इस वर्ष विश्व क्षयरोग दिवस 24 मार्च को मनाया जाएगा।
साथियों बात अगर हम टीबी संक्रमण रोग के लक्षणों को रेखांकित करने की करें तो, लगातार 3 हफ्तों से खांसी का आना, खांसी करने पर बलगम में थूक का आना, छाती में दर्द और सांस का फूलना, अचानक से वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना, शाम को बुखार का आना और ठंड लगना, रात में पसीना आना, भूख में कमी आना।बहुत ज्यादा फेफड़ों का इंफेक्शन होना। सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।
साथियों बात अगर हम टीबी संक्रमण रोग से अपने को सुरक्षित रखने की करें तो,टीबी के मरीज से कम-से-कम एक मीटर की दूरी बनाकर रहें। टीबी के मरीज को मास्क पहनाने पर जोर दें। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। कम रोशनी वाली और गंदी जगहों पर नहीं जाएं। टीबी के मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंदकर डस्टबिन में डाल दें।
टीबी के मरीज का कमरा अलग हो। टीबी के मरीज के द्वारा प्रयोग की जाने वाली सारी चीजें अलग होनी चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों को टीबी के मरीज से दूर रखना चाहिए क्योंकि इनमें बैक्टिरिया फैलने की संभावना अधिक होती है। दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहती है, तो लापरवाही न बरतें बल्कि समय रहते किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करे। अगर आपको पता है कि किसी व्यक्ति को टीबी है तो जितना हो सके उससे दूरी बना कर रखें। क्योंकि ये एक तरह का संक्रमित रोग है।
अगर आपके आस-पास कोई बहुत देर तक खांस रहा है, तो उससे सावधान होकर तुरंत अलग हट जाएं। अगर आप किसी टीबी के मरीज मिलने जा रहे हैं, तो वापिस घर आकर अच्छी तरह हाथ-मुंह धोकर कुल्ला कर लें। इस रोग से बचाव के लिए पौष्टिक आहार लें। ऐसे आहार जिसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन्स, मिनेरल्स, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर हों। क्योंकि पौष्टिक आहार हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। टीबी के मरीज को मास्क पहनकर रखना चाहिए। ताकि सामने वाले का आपके छींकने या फिर खांसने से रोग न फैलें। वहीं सामान्य व्यक्ति को भी उस वक्त सावधान हो जाना चाहिए जब उनके सामने कोई इस तरह की हरकत कर रहा हो।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरणका अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विश्व टीबी दिवस 24 मार्च 2022 पर विशेष जानकारी है।विश्व नें जानलेवा बीमारी टीबी के पूर्ण उन्मूलन के लिए वर्ष 2030 जबकि भारत ने 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है तथा कोविड-19 महामारी ने टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न की,विश्व टीबी दिवस 2022 की थीम टीबी को समाप्त करनें निवेश करें-जीवन बचाएं, सराहनीय है।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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