करे कोई और भरे को- जितेन्द्र 'कबीर'
February 24, 2022 ・0 comments ・Topic: Jitendra_Kabir poem
करे कोई और भरे को
खूब मुनाफा कमायाजिन लोगों ने
अंधाधुंध खनन करके
नदियों और पहाड़ों में,
इसके कारण हुए
प्रकृति के कोप से वो तो
सुरक्षित रहे बहुधा
दूर शहर के अपने मकानों में,
झेला हर बार
उन लोगों ने आपदाओं को
अपने ऊपर
जिनका इस कृत्य में कोई दोष ना था।
खूब मुनाफा कमाया
जिन सरकारों और कंपनियों ने
प्राकृतिक स्त्रोतों के जमकर
दोहन से,
इसके कारण हुए
प्रकृति के कोप से वो तो
सुरक्षित रहे बहुधा
दूर कहीं सुरक्षित प्रतिष्ठानों में,
झेला हर बार
उन लोगों ने आपदाओं को
अपने ऊपर
जिनका इस कृत्य में कोई दोष ना था।
जितेन्द्र 'कबीर
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
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