अपनी व्यथा किसे सुनाएं
February 24, 2022 ・0 comments ・Topic: kishan bhavnani poem
अपनी व्यथा किसे सुनाएं
अपनी व्यथा किसे सुनाऊं बात समझ ना आई
दुखों का पहाड़ टूटा घर में वीरानी छाई
ऊपर वाले ने बहुत जल्दबाजी दिखाई
मैं कैसे जी पाऊंगा उसे दी थी दुहाई
माता पिता बहन की यादें गहराई
दिल दिमाग जीवन में अंधयारी छाई
माता पिता बहन से बीते पलों की याद सताई
ऊपर चले गए मेरी आंखें ढूंढ ना पाई
देखा उनके रूम को तो आंखें भर आई
बेड वैसे ही हैं पर उन पर वीरानी छाई
कैसे झटकूं बेडशीट को सिलवट भी ना आई
अपनी व्यथा किसे सुनाऊं बात समझ में ना आई
माता पिता बहन बिना जीवन जीने की
कला किसी ने भी नहीं सिखाई
दुखी परेशान गम में डूबा हूं भाई
दुआ करो मेरे लिए यही है मेरी दुहाई
लेखक- कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, कानून लेखक,
चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.