छोड़ दिए गये हैं मर जाने के लिए-जितेन्द्र 'कबीर'
February 14, 2022 ・0 comments ・Topic: Jitendra_Kabir poem
छोड़ दिए गये हैं मर जाने के लिए
बहुत वक्त और संसाधन लग जातेकिसी देश के...
इस कोरोना नामक महामारी को
पूरी तरह से निपटाने के लिए,
समूचे स्वास्थ्य तंत्र को चरमराने से
बचाने के लिए,
अस्पतालों में
बहुत बड़े स्तर पर जीवन रक्षक उपकरणों
और स्वास्थ्य कर्मियों की उपलब्धता
सुनिश्चित करवाने के लिए,
नये सिरे से
प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियां
अमल में लाने के लिए
महामारी से प्रभावित समस्त परिवारों तक
खाद्य एवं चिकित्सकीय सहायता
पहुंचाने के लिए,
बंदिशों के कारण ठप्प हो गये
काम-धंधों को दोबारा पटरी पर लाने के लिए,
अब इतना कष्ट कौन करे?
क्यों न सरकारी तंत्र को लगा दिया जाए
संक्रमितों और मृतकों के आंकड़े
छुपाने के लिए,
टेस्टिंग, ट्रेसिंग को चुपचाप
घटाते जाने के लिए
एहतियाती उपायों को
महज औपचारिकता बनाने के लिए,
इसके बाद बच गये लोग तो
उपलब्धि है वो सरकार की
नहीं तो छोड़ दिए गये हैं करोड़ों लोग
महामारी से मर जाने के लिए।
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