अंदाजा!
ठहरा हुआ दरिया होता है बहुत गहरा ,
मुस्कुराहट के पीछे भी हे एक खामोश चेहरा,
किसी भी हस्ती को अंदाजे से नहीं नापना,
कभी रात है तो कभी सवेरा!
फूल खिलने के बाद ही महकता,
किसी को क्यों, कोई छोटा समझता,
किसी भी व्यक्ति को अंदाजे से नहीं नापना,
कभी कोई गिरता तो, कोई संभलता!
क्यों किसी को बेवजह ही सताता,
किसी की औकात का अंदाजा तू क्यों लगाता,
वक्त तेरा कब पलट जाए, ए इंसान,
तूफान का अंदाजा कभी लगाया नहीं जाता!
ठहरा हुआ दरिया होता है बहुत गहरा ,
मुस्कुराहट के पीछे भी हे एक खामोश चेहरा,
किसी भी हस्ती को अंदाजे से नहीं नापना,
कभी रात है तो कभी सवेरा!!
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com