वह एक ही परम शक्ति-डॉ. माध्वी बोरसे!

January 07, 2022 ・0 comments

वह एक ही परम शक्ति!

वह एक ही परम शक्ति-डॉ. माध्वी बोरसे!
किस बात का गुरूर है तुझे इंसान,
तू इतना भी हे नहीं महान,
करने वाला वह, कराने वाला वह,
वही चला रहा है पूरा जहान!

कौनसी जिम्मेदारी और क्या तेरा काम काज है,
जो तेरे पास कल नहीं था, तो वह आज है,
जिम्मेदारी देने वाला वह, तो उस जिम्मेदारी को उठाने वाला भी वह,
उसकी बदौलत से ही, तेरे घर में अनाज है!

देखते जा, सुनते जा, बस यही तो है तेरे हाथ में,
जब वह चाहे तो तू अकेला, वरना जग है तेरे साथ में,
हर घटना घटाने वाला वह, सब कुछ बनाने वाला वह,
तो क्यों घमंड और अहंकार हे किसी बात में!

किस समझदारी पर, तुझे नाज है,
किन-किन बातों से, तुझे ऐतराज है,
समझने वाला वह, समझाने वाला वह,
वही सब की जिंदगी का महाराज है!

तो फिर किस बात का गुरूर है तुझे इंसान,
तू इतना भी ना समझ, स्वयं को महान,
करने वाला वह, कराने वाला वह,
वही चला रहा है पूरा जहान!!

डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)




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