राजनीति के सियार- जितेन्द्र 'कबीर'
January 25, 2022 ・0 comments ・Topic: Jitendra_Kabir poem
राजनीति के सियार
पैसा किसी के हथियार है,
लालच किसी का हथियार है,
इसी सनातन मोह को
सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी बनाते
आजकल राजनीति के सियार हैं।
जाति किसी की हथियार है,
धर्म किसी का हथियार है,
आस्था और विश्वास का विषय होंगे
यह जनता के लिए
लेकिन हर बार सफलतापूर्वक इनसे
अपना काम निकालते
यह राजनीति के सियार हैं।
बातें बनाना किसी का हथियार है,
झूठ-मूठ बरगलाना किसी का हथियार है,
खुद जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा से
महफूज रहकर
निहत्थी जनता से अपनी जान को खतरा बताते
आजकल राजनीति के सियार हैं।
डराना-धमकाना किसी का हथियार है,
छल-प्रपंच रचाना किसी का हथियार है,
चुनाव में जीत के लिए
खुद को निम्नतम स्तर तक गिराते
यह राजनीति के सियार हैं।
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