नेताजी
सुभाष चंद्र बोस तू ,गये तो गए
भारत माँ के भाल, सजा के गए
स्वर्णाक्षरों में नाम, लिखा के गए
लाल थे भारती की, बता के गए
हिंद फौजों की डोली, सजा गए
दुर्गा भाभी कितने, पैदा कर गए
माँ के आँचल में मुँह, छिपाया नहीं
दुश्मनों के डंका ,बजा के गए
वीरता की फसलें, उगा के गए
आजादी की लहरें लहरा गए
शान तिरंगा का ऊँचा ,उठा ही गए
खून माँगा था तूने, आजादी बदले
कितने सुभाष पैदा, करके हो गए
खुद मिटकर दिखाया भारती के। लिए
माँ के चरणों से बढकर कहीं कुछ
नहीं
बलिदानी अभिमानी बना के गए
ईंट का जबाब पत्थर, सीखा गए
आजादी की कीमत अदा कर गए।
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