लाऊं तो कैसे और कहां से-जयश्री बिरमी
January 07, 2022 ・0 comments ・Topic: Jayshree_birmi poem
लाऊं तो कैसे और कहां से
कहां से लाऊ वो उत्साह जो हर साल आता थाकहां से लाऊं वह जोश जो हर साल आता था
तैयारी करते थे मनाने की जो नया साल
केक व खानी पीनी की बनती लंबी सूची हर हाल
वही सूची बनती थी अपनों और दोस्तों की
नहीं रहे बाकी कोई वरना उम्र भर सुनाएगा
अब कहां से लाऊं वो जजबा
सभी तो डरते हैं एकदूजे से जो कभी कसके मिलते थे
नहीं मिलेगी वो पाके जाफियां
जालिम जमाने छीन ली हैं नजदीकियां
अब सोचूं कि किस को बुलाऊं नए साल के जश्न में
कैद कर रखा हैं हमे इस शैतानी वक्त ने
अब क्रूर करोना के भाई की भी बारी हैं आई
उठ करोना अब ओमिक्रॉन की बारी हैं आई
मिलेंगे अब कैसे अपनों से इस भयंकर काल में
छूटे जा रहे हैं हसीन लम्हे जिंदगी के इस जंजाल में
पालन करने में दो गज की दूरी और मास्क के व्यवहार में
लाऊं कहां से........???
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