भारत माता
भारत जननी तू हो महान
तूने जने हो वीर संतान
सिर हिमालय की पायी
चरणों को धोता सागर है
शेरों की है सवारी करती
उर्वरा वसुन्धरा तेरी शान
कश्मीर से कन्याकुमारी
राष्ट्र हमारी केसर क्यारी
माते तेरी अंदाज अलग है
भारत भूमि तूझे नमन है
अठखेलियाँ करती नदियाँ
गंगा यमुना सरस्वती की
संगम महासंगम की धारा
धरा की अद्भुत नजारा है
नीली धरती नीला अम्बर
सहिष्णुता में अब्बल है
धर्मसुता हो जननी जग की
जियो और जीने दो कहती
प्रेम की सदा पाठ पढ़ाती
मिलजुलकर रहना सिखाती
ऋषि मुनियों का देश है ये
आत्मा गाँवों में बसती है रे
इन पर कोई आँख दिखाए
वो नादान मुँह की खाए
तिरंगा माते, हाथों शोभती
प्रेम परमाणु चादर ओढ़ती
ये सारे है जननी के म्यान
भारत जननी तू हो महान।
डॉ. इन्दु कुमारी
मिलजुलकर रहना सिखाती
ऋषि मुनियों का देश है ये
आत्मा गाँवों में बसती है रे
इन पर कोई आँख दिखाए
वो नादान मुँह की खाए
तिरंगा माते, हाथों शोभती
प्रेम परमाणु चादर ओढ़ती
ये सारे है जननी के म्यान
भारत जननी तू हो महान।
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