नशा एक परछाई-जयश्री बिरमी

January 07, 2022 ・0 comments

नशा एक परछाई

नशा एक परछाई-जयश्री बिरमी
क्यों चाहिए तुम्हे वो नशा
जो तुम्हे और तुम्हारे प्यारों
को करता बरबाद हैं

नशा करों अपने काम का
या करो प्यारे रिश्तों का
नशा हैं एक शतानी ताकत
जिसका वजूद हैं छोटा बहुत
बताएं क्या पाएंगे इस क्षणजीवी सुख से
जो ले जाता हैं सभी को ही बर्बादी के रास्ते

बरबाद देश के जन जन हो
 तो देश आबाद हो कहां से
बादलों अपनी रवानियां
कर लो इस नशों से दूरीयां
सब्र करो कि रब ने दिया है नर तन

पता नहीं किस जन्म में फिर मिले ऐसा तन
छोड़ो नशेबाजी और ये मन की कमजोरी
क्यों नहीं कर लें ये प्रण आज
न छुएंगे इस राक्षसी माया को
अब हैं ये दुनियां हसीन

नहीं जाना हैं अब इस नर्क वाली रह पर
क्यों दौड़े हो पीछे परछाई के
न पाओगे कुछ इस मृग जाल में

जयश्री बिरमी
अहमदाबाद

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