देशभक्ति २१ वी सदी में-सतीश लाखोटिया

देशभक्ति २१ वी सदी में

वतन पर क्या गाऊँ मैं
देशभक्ति के गीत
हम माटी के पुतले
भूल गए उन शहीदो की
देश पर मर मिटनेवाली प्रीत

याद करो उन मातृभूमि के दीवानों को
मर मिटने को रहते तैयार
भारत माँ की लाज बचाने को

अब न जाने
वह ललक कहाँ खो गई
शुर वीरो को जन्म देनेवाली माताएं
लुप्त ही हो गई

ज़ज्बा दिखता सिर्फ
वतन के लोगो में दिखावे के लिए
तिरंगा लेकर शोर - शराबा करने के लिए
मानो या न मानो, यह सच
गिनती के ही जाँबाज रह गए
सीमा पर लड़ने जाने के लिए

रक्षा अपने हिंद की
कर सकते दिल से हम भी
भ्रष्टाचारियों, व्याभिचारियों से
मुक्त कराने का संकल्प ले हम भी

देशभक्ति के कई रंग
आओ हर रंग में रंग जाए हम
तिरंगे के शान की खातिर
आओ अलख जगाए दिल में हम भी

लहर चले - लहर चले
हो हर दिल में यही अरमान
मेरा वतन - मेरा जतन
रोम रोम में बसा मेरे हिंदुस्तान

मैं अकेला ही नहीं
गाएंगे मिलकर देशभक्ति के गीत
स्वर से मिलेंगे स्वर
चलाएंगे एक ही अभियान
मेरा भारत महान
मेरा तिरंगा महान
यही मेरा धर्म
यही मेरा ईमान

सतीश लाखोटिया
नागपुर, महाराष्ट्र

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