देशभक्ति २१ वी सदी में-सतीश लाखोटिया
January 24, 2022 ・0 comments ・Topic: poem satish_lakhotiya
देशभक्ति २१ वी सदी में
वतन पर क्या गाऊँ मैंदेशभक्ति के गीत
हम माटी के पुतले
भूल गए उन शहीदो की
देश पर मर मिटनेवाली प्रीत
याद करो उन मातृभूमि के दीवानों को
मर मिटने को रहते तैयार
भारत माँ की लाज बचाने को
अब न जाने
वह ललक कहाँ खो गई
शुर वीरो को जन्म देनेवाली माताएं
लुप्त ही हो गई
ज़ज्बा दिखता सिर्फ
वतन के लोगो में दिखावे के लिए
तिरंगा लेकर शोर - शराबा करने के लिए
मानो या न मानो, यह सच
गिनती के ही जाँबाज रह गए
सीमा पर लड़ने जाने के लिए
रक्षा अपने हिंद की
कर सकते दिल से हम भी
भ्रष्टाचारियों, व्याभिचारियों से
मुक्त कराने का संकल्प ले हम भी
देशभक्ति के कई रंग
आओ हर रंग में रंग जाए हम
तिरंगे के शान की खातिर
आओ अलख जगाए दिल में हम भी
लहर चले - लहर चले
हो हर दिल में यही अरमान
मेरा वतन - मेरा जतन
रोम रोम में बसा मेरे हिंदुस्तान
मैं अकेला ही नहीं
गाएंगे मिलकर देशभक्ति के गीत
स्वर से मिलेंगे स्वर
चलाएंगे एक ही अभियान
मेरा भारत महान
मेरा तिरंगा महान
यही मेरा धर्म
यही मेरा ईमान
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.