हाजिर जवाबी अटल बिहारी- डॉ. इन्दु कुमारी
December 27, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
हाजिर जवाबी अटल बिहारी
देश की माटी ने दी सदा
अमूल्य तोहफ़ा निशानी
वीरता के परचम को
लहराते रहे हैं बलिदानी
उन्हीं श्रेणी में लिखा है
नाम अटल बिहारी का
कवि ह्रदयावरण के थे
सतत् सेवा में रत रहे
एक बार की है किस्सा
बस की सवारी करके
अटल पाकिस्तान गये
वहाँ की जन सत्ता ने
तहे दिल स्वागत किये
हँसी ठिठोली चल पड़ी
लड़की पत्रकार बोली
आप भी हो कुँवारा जी
कब से तेरी आस में हूँ
करो मुझसे शादी जी
मुँह दिखाई में हमको
देना कश्मीर घाटी जी
अटल जी ने झट बोला
दहेज में हमें चाहिए
पाकिस्तानी वादी जी
कर लूँगा मैं शादी जी।
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