बेरोजगारी का एक पहलू यह भी- जितेन्द्र 'कबीर'
December 22, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
बेरोजगारी का एक पहलू यह भी
आजकल लोगों कोघर का काम करने के लिए
ईमानदार और मेहनती लोग नहीं मिलते,
जमीन का काम करने वाले लोग भी
मिलते हैं मुश्किल से ही,
नहीं मिलते आसानी से सैनिटरी फिटिंग वाले,
एक बार आने के लिए दस फोन करवाते हैं
बिजली की फिटिंग वाले भी,
अच्छे मैकेनिक का पड़ा है हर जगह टोटा,
मोटरसाइकिल, गाड़ी से लेकर मोबाइल टीवी तक
ठीक करने वालों के पास होती हैं कतारें लगीं,
अपने बच्चों के लिए अच्छा ट्यूशन टीचर ढूंढना
काम है मुश्किल बड़ा,
अच्छे डॉक्टर के पास पहुंचने के लिए
लगाने पड़ते हैं जुगाड़ कई,
बड़े-बड़े टैक्निकल काम छोड़ भी दो तो
जायज दाम में अच्छी चाय और खाना भी
आजकल लोगों को आसानी से नसीब नहीं,
अगर डिग्री-डिप्लोमा कोई करके अगर
बैठ गये हो घर पर ही नौकरी का इंतजार करने
तो बेरोजगारी है तुम्हारे लिए समस्या बड़ी,
वरना मेहनत और ईमानदारी से
काम करने वालों को कभी भी
काम की कमी रहती नहीं।
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