व्यवधान
व्यवधान अनेकों जीवन मेंरह-रह कर उपजा करते हैं
हम मन को थोड़ा समझाते हैं
और वक़्त से सुलहा करते हैं
तनिक सांस तो लेने दो
इम्तेहान पर इम्तेहान न लो
ऐ व्यवधानों तनिक ठहरो
रह-रह कर मेरी जान न लो
वे मशले भी उलझ जातें हैं
जो अक्सर सुलझा करते हैं
व्यवधान अनेकों जीवन में
रह-रह कर उपजा करते हैं
अक्सर गहरी रातों में
उलूल -जुलूल की बातों से
हम खुद से झगड़ा करते हैं
व्यवधान अनेकों जीवन में
रह-रह कर उपजा करते हैं
एक अरसे तक किस्मत देखी
किस्मत ने की हरदम अनदेखी
वक़्त हालात जब बदल गए
फिर तनहा -तनहा रहते हैं
व्यवधान अनेकों जीवन में
रह-रह कर उपजा करते हैं
काश मुझे भी चैन मिले
सुकून भरी एक रैन मिले
लम्बे दौर के बुरे दौर में
न जाने किस तरहा रहते हैं
व्यवधान अनेकों जीवन में
रह-रह कर उपजा करते हैं
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