शहीद कविता-नंदिनी लहेजा
शहीद
शत नमन, आपके जीवन को,जिसे आपने, देश के नाम किया।
हैं धन्य हमारे, वीर जवान,
जिन्होंने प्राणों का, अपने दान किया।
ज़बांजी, उनका शस्त्र महान ,
जिससे करते, दुश्मन का संघार।
जब तक प्राण, होते तन में,
ना मानते, सैनिक कभी हार।
ना भूख प्यास, ना सर्दी गर्मी,
ना दिवाली और होली।
इनके लिए, वतन सब कुछ,
चाहे मिले दुश्मन की गोली।
शहादत को मानते, सौभाग्य अपना,
गर्व से उसे, गले लगाते हैं।
नतमस्तक हर देशवासी होता,
तिरंगे में लिपट जब वे आते हैं।
हैं धन्य वो जननी मैया,
जिन्होंने वीरों को जन्म दिया।
कुर्बान किया,लाल अपना देश पर,
कोख को अपने पावन किया।
शतनमन उस अर्धांगिनी को,
जिसका सुहाग हैं, सीमा का रक्षक।
बंधन मुक्त किया, मोह से अपने ,
गर्व से किया, जाते समय उसका तिलक।