सफर-डॉ. माध्वी बोरसे!

December 20, 2021 ・0 comments

सफर!

सफर-डॉ. माध्वी बोरसे!
बहुत समय से बैठे हैं, घर के अंदर,
चलो करें, शुरू एक नया सफर,
घूमे गांव और अलग-अलग शहर,
महसूस करें, पर्वत और समुंदर की लहर!

करें यात्रा रेलगाड़ी, विमान और जहाज पर,
लगाए एक बार, इस प्यारी सी दुनिया का चक्कर,
चलो होकर आए, अपनों के घर,
हां जी, आज और अभी हि है, सही अवसर!

छोड़ आए कई स्थानों पर अपना असर,
कुछ समय के लिए, ऊपर वाले पर हो जाए निर्भर,
कभी समेटे स्वयं को, कभी जाए हवा में बिखर,
छू ले यात्रा मैं हर एक, उच्च शिखर!

आए अत्यंत सुंदर जगहों को घूमकर,
अपने दर्द और तनाव को पूर्ण रूप से भूलकर,
सब से कुछ नया, कुछ अलग सीख कर,
हर यात्रा में बनते चले, एक इंसान बेहतर!!

डॉ. माध्वी बोरसे!
(स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)

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