राष्ट्र की नारी - डॉ इंदु कुमारी
December 17, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
राष्ट्र की नारी
साधारण -सी हूँ नारी
भारत माँ की प्यारीराष्ट्र की राज दुलारी
गाँधीजी के पदचिन्हों
अहिंसा की हूँ पूजारी
रश्मिरथी की सवारी
वक्त पड़ा झाँसी रानी
और बन जाती चिंगारी
सुभाष चन्द्र की दुर्गा
रहस्यमयी बन जाती
वीरता की देहली पर
बजाती डंके की तान
मीरा बनकर नागर की
छेड़ती बाँसुरी की तान
लक्ष्मी हूँ वसुन्धरा की
सरस्वती घर की बेटी
शहीदों में शामिल हुई
अंतरिक्ष हो कर आई
छुई मुई सी हूँ सुकुमारी
इन्ही राष्ट्र की हूँ नारी।
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