माशूका धरती- डॉ इंदु कुमारी
माशूका धरती
मुहब्बत क्या होती हैपूछो वीर जवानों से
कुर्वानियों की निशाने
पूछो ये जमाने से
बलिदानों की महक
फिजाओं में फैल रही
रक्त की कण -कण बूंदें
समर लहर में तैर रही
क्या मजाल आँख कोई
दिखाए महबूबा तरफ
बाजियाँ लगाते जान की
खिंच लेते हैं प्राण भी
बेइन्तहा प्यार करते हैं
दिलो जां न्योछावर है
शौर्य वीरता के द्योतक
आशिक है प्यारी धरा की
दिल।आश आशिकाना है
मातृभूमि जिनकी माशूका
मौत को ठिकाने लगाना है
चलें तिरंगा फहराना है
तेरी आशिकी को सलाम ।