कागज के शेर-जयश्री बिरमी
कागज के शेर
एकबार फिर कागजी जलजला आया हैं और पाकिस्तान ने एक नक्शा अपने सोशल मीडिया में दिखाया हैं ,जिसमे हिंदुस्तान के प्रदेशों को भी दिखाया हैं।जब ३७० हटाई गई तो उसे दिल पर ले बेचारे खान साब की किरकिरी हो गई।जिस जनता को हिन्दूस्तान में आतंकवाद बढ़ा कर,कश्मीर को अपना हिस्सा बता कर वापिस लेने के वादे करके सपने दिखा कर खुश रखने की पॉलिसी थी वह फैल होती देख , और कुछ तो कर नहीं पाए पर कागज पर कारीगिरी शुरू कर दी, जिस से क्या मिलेगा ये तो वोही जाने।वैसे उनके धार्मिक देशों ने भी उन्हे घास डालनी बंद कर दी हैं और कोई भी महत्व नहीं दिया जा रहा हैं तो अपनी आवाम में अपने महत्व दिखाने के लिए ऐसे ही हथकंडे आजमाना शुरू कर दिया हैं।ऐसे अगर नक्शा बदलने से कुछ देश अपने हो जाते होते तो आज उन्हों ने दुनियां के सभी धनी देशों को अपने नक्शे में बता कर अपनी बदहाली को खुशहाली में बदल सकते थे।किंतु ये तो खुश खयाली से ज्यादा कुछ नहीं हैं।जैसे वाणी विलास बोलते हैं,जिसमे हकीकत हो न हो बोल कर खुश होते हैं ,वैसे इस घटना को कागज विलास कहा जा सकते हैं।
आवाम भी जान गई हैं कि उनके देश का दुनियां में कितना महत्व हैं, हालाकि एक न्यूक्लियर स्टेट होते हुए भी अपने आप को कमजोर बनाए ऐसे हालात महंगाई और भुखमरी वाला देश होने से कमजोर ही माना जाता हैं। खाडी के देश भी उनको कोई गिनती में नहीं ले रहे हैं।फिर क्यों अभी भी खान साब अपने देश के हरेक प्रोब्लम के लिए भारत और विश्व के दूसरे देशों को,जैसे अमेरिका को दोष देते हैं,वह भी भरपूर आक्रोश के साथ।अब देखें तो उनके देश की महंगाई,अशांति आदि जो भी प्रॉब्लम्स हैं वह सब बाहर के देशों की वजह से हैं।वे लोग तो पाक साफ हैं,नादान हैं उनकी दूसरे देशों ने यूज किया हैं।अब आगे देखते हैं ये आर्थिक प्रश्नों से घिरा हुआ देश आगे क्या क्या कहेगा या करेगा पता नहीं।ये फिर खिसियाई बिल्ली खंभों को ही नोचती रहेगी!