इस दौर की नई बात- जितेन्द्र 'कबीर'
December 17, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
इस दौर की नई बात
क्रांति की नींव
माने जाने वाले आंदोलनऔर विरोध प्रदर्शन
षड़यंत्र माने जाते रहें हैं
हमेशा से
सरकारों के खिलाफ,
आज भी हो रहा है ऐसा।
सुधारों के लिए
आवाज उठाने वाले बुद्धिजीवी
किरकिरी बनते रहे हैं
हमेशा से
सरकारों की आंखों में,
आज भी हो रहा है ऐसा।
'फूट डालो और राज करो'
की नीति
सरकारें अपनाती रहीं हैं
हमेशा से
सत्ता में बने रहने के लिए,
आज भी हो रहा है ऐसा।
धर्म को विकास के ऊपर
तरजीह देकर ' वोट-बैंक ' की राजनीति
सरकारें करती रहीं हैं
हमेशा से
आज भी हो रहा है ऐसा।
विचारों की असहमति
पहले भी रही है
सत्ता पक्ष और विपक्ष में
पर असहमति से जबरदस्त घृणा
इस दौर की नयी बात है।
समुदायों में मतभेद
पहले भी रहे हैं देश में,
मगर दूसरे समुदाय से
जबरदस्त नफरत
इस दौर की नयी बात है।
अपनी गलती मानकर
आगे बढ़ना
एक अच्छा विकल्प है,
पर गलत को ही सही साबित
करने के लिए पूरा जोर लगाना,
इस दौर की नयी बात है।
किसी भी क्षेत्र के दिग्गजों को
उचित सम्मान देकर
अपने साथ जोड़ना अच्छा विकल्प है,
पर असहमति की दशा में
देशद्रोही घोषित कर देना,
इस दौर की नयी बात है।
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