चल चला चल राही तू-डॉ माध्वी बोरसे!
December 04, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
चल चला चल राही तू!
चल चला चल राही तू,
मुसाफिर तू कभी रुकना ना,रुकना ना, कभी झुकना ना,
तेरेते रह तू आगे से आगे,
डूबना ना, फिसल ना ना,
हंसते रहना, मुस्कुराते रहना,
रोना ना कभी खोना ना!
संभल संभल के कदम को रखना,
थकना ना, ठहरना ना,
निडर होकर आगे बढ़ना,
सहना ना, तू कभी बहना ना,
चल चला चल राही तू,
मुसाफिर तू कभी रुकना ना!
करके दिखा जीवन में तू, सपने किसी से कहना ना,
देते जा तू देते जा, पर कभी किसी से लेना ना,
खुद्दारी हो तुझ में इतनी, मेहनत करे बिना रहना ना,
चल चला चल राही तू,
मुसाफिर तू कभी रुकना ना!
अवसरों पर ध्यान देना,
कभी अवसर को नकारना ना,
सब को अपनाते जाना,
कभी किसी को धिक्कार ना ना,
समेट कर रखना खुद को,
कभी खुद से बिछड़ना ना,
चल चला चल राही तू,
मुसाफिर तू कभी रुकना ना!
पूरा हो तेरा हर सपना,
बनाए तुझे हर कोई अपना,
किसी से कभी ना तू डरना,
जीना हो या फिर हो मरना,
हर परिस्थिति को अपनाते जाना,
इस माध्वी का, इतना ही कहना,
हंसते, मुस्कुराते, जिंदगी को जीना,
चल चला चल राही तू,
मुसाफिर तू कभी रुकना ना!
चल चला चल राही तू,
मुसाफिर तू कभी रुकना ना!
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