'यार जादूगर'और 'डार्क हार्स' पुस्तक समीक्षा
आखिर इंतज़ार भी खत्म , और " यार जादूगर " को पढ़ के जान लेने की उत्सुकता भी ख़त्म,
हा मैं बात कर रही हूं
साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित नीलोत्पल मृणाल जी के तीसरे उपन्यास " यार जादूगर " की अपनी नाम की तरह अंत तक एक जादू की भांति अनिश्चित हैं ।
पहली उपन्यास " डार्क हॉर्स" पढ़ने के बाद जो उत्सुकता , ठहरी हुई, थकी हरी युवा पीढ़ी में आती हैं,
वर्तमान समय में अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्षरत छात्रों , बेरोज़गारी , आर्थिक विपन्नता से जूंझ रही युवा पीढ़ी में प्राण फूकने का काम करती है।
शून्य से शिखर तक के सफ़र का संपूर्ण आनंद समाहित कर दिया ।
परंतु " यार जादूगर " शुरू से लेकर अंत तक रहस्यों का गढ़ बना रहा,
जिसमें किसी भी चीज की निश्चितता का बोध नहीं हो रहा, आज वैज्ञानिक हो चुके संपूर्ण समाज में
मुर्दों का फिर से जिंदा होने जैसी बाते काल्पनिक और अंधविश्वासी ही हैं,
संवादों में भी वो स्पष्टता नहीं जिनको पढ़ के सामने वाले के भाव समझ आ सके,
पूरा उपन्यास ना हीं शहरी बनावट से पूर्ण हैं, ना ही गांवों के साधारणता का प्रतीक हैं,
सम्पूर्ण कहानी एक हवा लोक में विचरण कर रही हैं,
भाषा भी सरल नहीं है,
उपन्यास बीच - बीच में वर्तमान परिवार की विशेषता,
जिसमे संतान केवल अपने सुखो से सुखी होता,
मित्र ,जो साथ रह के भी साथ नहीं होते,
माता- पिता का पुत्र मोह , आदि चीजों को भी शामिल किए हुए हैं, भ्रष्ट सरकारी सेवकों, की गुणों का बखान भी हैं ,
कुछ चीजें भी हैं
जो कहानी आकर्षक बना रही हैं,
परन्तु 21 वीं सदी में यमलोक से यमदूत का आगमन ,
उपन्यास को एक दूसरी दुनिया में ही ले जा रहा हैं,
स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो ज्ञान की पोथी के रूप में आने के बाद इसमें अन्य किसी भी ज्ञान के ग्रंथ से विभिन्नता ही ना बची.
कुल मिलाकर मुझे तो लगता हैं जो कामयाबी " डार्क हॉर्स" से मिली थीं,वो " यार जादूगर" से धूमिल होती प्रतीत हो रही हैं।
अंत तक रहस्यों का गढ़ बना रहा " यार जादूगर"
जिस उत्सुकता से मिली ,पढ़ी गई ,
मन निराशा हुआ,
परंतु एक लेखक के विचार स्वतंत्र होते हैं.उनकी कलम की गति को पकड़ना संभव नहीं है,
अवश्य ही किसी गूढ़ रहस्य की खोज में हैं " यार जादूगर"
हार्दिक शुभकामनाएं आपको.. नीलोत्पल मृणाल जी॥
E book मिल सकतो है क्या ?
ReplyDeleteSorry E-book abhi uplabdh nhi hai
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