Swapn ujle hai by siddharth gorakhpuri
November 18, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
स्वप्न उजले हैं.
स्वप्न उजले हैं ये कह रहा है कोई।
उकेरना चाहता है हकीकत कोई।
हकीकत को हकीकत होने में वक्त
लगता है,
आजकल कहाँ ये मानता है कोई।
हम स्वप्न में न जाने क्या- क्या बन जाते हैं।
अपनी जिंदगी का अन्दाजे बयां बन जाते हैं।
फिर भी समझ न आया मामला कोई।
हकीकत को हकीकत होने में वक्त
लगता है,
आजकल कहाँ ये मानता है कोई।
स्वप्न उजले हैं और स्याह किस्मत।
कर गयी है बहुत ही तबाह किस्मत।
बहुत गहराई से सोचा मगर तह न
मिला,
क्या इतनी ज्यादे है ? अथाह किस्मत।
जिंदगी देगी? बुरे दौर का मुआवजा कोई।
हकीकत को हकीकत होने में वक्त
लगता है,
आजकल कहाँ ये मानता है कोई।
किस्मत से अपने फासले बहुत हैं।
सच कहें तो ऐसे मामले बहुत हैं।
किस्मत जग जा जो सोई है अरसे से,
उसे जगाने को हम उतावले बहुत हैं।
उसे बता दो जगाने को उतावला है कोई।
हकीकत को हकीकत होने में वक्त
लगता है,
आजकल कहाँ ये मानता है कोई।
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