परकोटा
मैं परकोटा हूँ
न जाने कब से खड़ा हूँ
मेरा इतिहास बड़ा है
मैं कई युद्धों व् योद्धाओं का प्रत्यक्ष दर्शी हूँ ।
मैं कब-क्यों- कैसे बना ?
ये सब पुरातत्व विभाग से पूछो
अभिलेखागार की बहियों से जानो
मेरे खण्डहरों से अंदाज लगाओ ,मैं कब से खड़ा हूँ ।
मैंने कितने प्रहार सहे हैं
मैंरक्षक रहा ,मेरे कारण दुश्मनों की तोड़ी आशाएं
मैं रक्षक बन तब से अब तक
आन - बान की खातिर खड़ा हूँ ।
मेरे अस्तित्व में आने की कहानी
सामन्तवाद की रक्त-रंजीत सोच
जनता का शोषण ,अमीरों का पोषण
गरीबों के खून-पसीने का प्रमाण हूँ ।
मैं गरीबों की आह हूँ
राजघराने की चाह हूँ
सैलानियों की मनोरंजन गाह हूँ
फिर भी मुल्क की धरोहर हूँ ।
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