parkota by mainudeen kohri

 परकोटा

parkota by mainuddin kohri


मैं परकोटा हूँ

न जाने कब से खड़ा हूँ

मेरा इतिहास बड़ा है

मैं कई युद्धों व् योद्धाओं का प्रत्यक्ष दर्शी हूँ ।


मैं कब-क्यों- कैसे बना ?

ये सब पुरातत्व विभाग से पूछो

अभिलेखागार की बहियों से जानो

मेरे खण्डहरों से अंदाज लगाओ ,मैं कब से खड़ा हूँ ।


मैंने कितने प्रहार सहे हैं

मैंरक्षक रहा ,मेरे कारण दुश्मनों की तोड़ी आशाएं

मैं रक्षक बन तब से अब तक

आन - बान की खातिर खड़ा हूँ ।


मेरे अस्तित्व में आने की कहानी

सामन्तवाद की रक्त-रंजीत सोच

जनता का शोषण ,अमीरों का पोषण

गरीबों के खून-पसीने का प्रमाण हूँ ।


मैं गरीबों की आह हूँ

राजघराने की चाह हूँ

सैलानियों की मनोरंजन गाह हूँ

फिर भी मुल्क की धरोहर हूँ ।


मईनुदीन कोहरी नाचीज़ बीकानेरी
मो . 9680868028

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