कविता : न देना दिल किसी को -सरस्वती मल्लिक

 कविता : न देना दिल किसी को 

कविता : न देना दिल किसी को  -सरस्वती मल्लिक



न देना दिल किसी को , न लगाना दिल किसी से , 

छीन लेते हैं लोग चैन दिल में आकर , 

दूर रखना सभी को अपने दिल के घर से । 


आएंगे लोग दिल लेने को तुमसे , 

करेंगे बहुत जतन , दिल चुराने को तुमसे , 

आना न उनकी बातों में कभी भी , 

रखना बचाके अपने दिल को उनसे । 


मिलाना न नजरें भूल कर भी किसी से , 

पहुँचता है दिल तक , 

कोई इसी रस्ते से , 

लगे जो चोट टूट जाएगा , 

है ये दिल शीशे के जैसे । 


खोना न कभी अपने दिल को , 

ले न जा पाए कोई इसे धोखे से , 

गया जो एक बार दिल , मिलेगा न दुबारा वो कभी फिर से , 

कीमत न इसकी कोई  , महफूज रखना सभी से । 


न देना दिल किसी को न लगाना दिल किसी से ॥

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मौलिक एवं स्वरचित 
-सरस्वती मल्लिक  (Saraswati mallick)
मधुबनी , बिहार

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