कविता : न देना दिल किसी को
न देना दिल किसी को , न लगाना दिल किसी से ,
छीन लेते हैं लोग चैन दिल में आकर ,
दूर रखना सभी को अपने दिल के घर से ।
आएंगे लोग दिल लेने को तुमसे ,
करेंगे बहुत जतन , दिल चुराने को तुमसे ,
आना न उनकी बातों में कभी भी ,
रखना बचाके अपने दिल को उनसे ।
मिलाना न नजरें भूल कर भी किसी से ,
पहुँचता है दिल तक ,
कोई इसी रस्ते से ,
लगे जो चोट टूट जाएगा ,
है ये दिल शीशे के जैसे ।
खोना न कभी अपने दिल को ,
ले न जा पाए कोई इसे धोखे से ,
गया जो एक बार दिल , मिलेगा न दुबारा वो कभी फिर से ,
कीमत न इसकी कोई , महफूज रखना सभी से ।
न देना दिल किसी को न लगाना दिल किसी से ॥
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