Mera gaon kavita by Mausam khan Alwar Rajasthan
November 14, 2021 ・0 comments ・Topic: Mausam-Khan poem
मेरा गांव |Mera gaon kavita by Mausam khan
कितनी सादगी आज भी है मेरे गांव में ,चटनी के संग रोटी खाते बड़े चाव से गांव में।।
सूरज निकला सुबह हुई चिड़िया चहकी गांव में,
मंद मंद शुद्ध हवा चलती मेरे सीधे-साधे गांव मे।।
थे पन जाते सिर पर रखकर गोबर अब भी मेरे गांव में,
उपलो और लकड़ी से खाना बनाते आज भी मेरे गांव में।।
सुख दुख में सब शामिल होते खुशहाली मेरे गांव में,
राम रहीम सब मिलकर खेले मेरे सुन्दर गांव में।।
ईद दिवाली मिलकर मनती अभी मेरे गांव में,
रामू का हल अब्दुल जोते आज भी मेरे गांव।।
पणिहारी कुओं से पानी लाती आज भी मेरे गांव में,,
बैलों की रमझोल बजे हैं आज भी मेरे गांव में।।
स्वरचित मौसम खान
अलवर राजस्थान
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