Manzil by Indu kumari

 मंजिल

Manzil by Indu kumari

भूल जाना किसी तरह से

जो  राह की  रूकावट  है

सजा लेना माथे पे सदा ही

जो जिन्दगी की सजावट है

कामयाबी की सीपी प्रयत्न  

 सौपान से  ही  मिलती  है  

सुन्दरता की मिसाल कमल

आकंठ कीचड़ में रहती है

जिन्दगी के थपेरों से सीखें

मंजिल की नाव पर चढ़ना

जब बढ़ने  की तरप होगी

रोके  नहीं  रूकेगी बढ़ना

कर्म  पथ है जीवन  प्यारे

चलते सदा-सदा ही रहना

मंजिल तो मिलकर रहेगी

फतह हासिल होकर रहेगी

 खुशियों की सौगात मिलेगी

मंजिल की मुस्कान मिलेगी।

  डॉ.इन्दु कुमारी
         मधेपुरा बिहार

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