Kyu nhi aata mera janmdin by vijay Lakshmi Pandey
#क्यों नहीं आता मेरा जन्म दिन...??
अम्माँ ,
तूनें तो मेरा
दान कर दिया,
अब कैसे तिलक लगाएगी?
मुझे पता है पति के एहसानों पर,
निर्भर बन न जाऊँ कहीं
ऐसा मुझे बनायेगी।
कहीं उससे भी ज्यादा पढ़ाया तूनें,
फिर मेरा जन्म दिन क्यों नहीं मनाया तूनें???
हाँ ,मुझे याद है अब तक ...जब हमारे ब्याह में अम्माँ तुम ,और कुछ औरतों नें मिलकर मधुर स्वर में दर्द
भरे गीत गाए थे ,मैं जब भी अपनें जन्मोत्सव के बारे में सोचती हूँ वह गीत तीर की तरह हृदय को चीर जाते है जो इस प्रकार थे---
जेहि दिन ए बेटी तुहरा जनमवा
भईली भादों की काली रात।
सास ननद घर दीप न जारे ,
आप प्रभु चले रिसियाय।।
और भी---
जेहि दिन ए बेटी तोहरा विवाह
भईली सोनें की रात।
सास ननद मुख ले ली बलैया
आप प्रभु करें कन्या दान।।
कन्या दान हो गया मेरा...!!!
क्या कन्यादान वस्तुकरण नहीं..???
बेटी का जन्म,बेटी की जिम्मेदारी,माँ -बाप के लिए बोझ क्यों..???जिस समाज में हम रहते हैं ,जिस समाज के लिए हम लगनशील हैं ,संस्कृति, सभ्यता ,लोक मर्यादा ,धर्म शीलता,रिश्तों की प्रगाढ़ता,जिस कन्या से सम्भव है उसका विवाह या दान ?? एक या अधिक पुत्र बोझ नहीं बेटी चिंता का विषय क्यों..??बेटी के जन्म से माँ-बाप को पैसे क्यों जोड़नें पड़ते है..?? बेटी ब्याहनीं है इसे सौभाग्य न समझ कर कार्य क्यों समझा जाता है ।दोनों पक्ष इसे उत्सव का रूप क्यों नहीं देता ??
नहीं ,बेटियाँ कभी भी माँ बाप के लिए बोझ नहीं हैं समाज की कड़ियाँ इस तरह है कि माँ -बाप भयभीत होते हैं ,पर हमारी सभ्यताएं विकास शील हैं, सतत अग्रसर हैं तो कैसे??केवल मशीनीकरण के लिए ,क्या फैलाव ही विकास है तो आत्मा कहाँ है ??
अम्माँ के आँखों में भय की रेखा है ,तभी तो दूसरे के घर जाना है ऐसा कहकर ढंग-शउर सिखाती है ,बेटे को सिखाने की जरूरत नहीं वह तो जन्म से ही दक्ष हो कर आया है कौन सा उसे पराये घर जाना है।
बाबूजी की प्यारी बिटिया ,बाबूजी का बड़ा ध्यान देती है पर अकेले में शांत व बेचैन हो जाते हैं बाबूजी !!! नाजों से पाला है जिसे, न जानें विधाता नें कैसी भाग्य रची ।
वैसे देनदारी में कमी न लगाऊंगा ,एक वादा खुद से किया था बाबूजी नें शिक्षित करूँगा बेटियों को "भले नमक की बोरी पीठ पर लादनी पड़े "
और शिक्षा -दीक्षा बाकी न लगाई।
पर..
क्यों नहीं आता मेरा जन्म दिन जानना है मुझे..!!!
अम्माँ मेरा भी जनम दिन मनाओ न,
थोड़ा सा हलवा ही बना लो न,
एक कॉपी- कलम ही दिला दो न,
भैया के जनम -दिन पर लाए थे जो,
छोटू- मोटू के स्पेशल पापड़ ,
बचे हुए ही तल कर खिला दो न।
क्यों नहीं आता मेरा जनम दिन।
इतना तो बता दो न।✍️