Bal divash by Jayshree virami
November 13, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
बाल दिवस
आज नवाजेँ चालों अपने नौ निहालों को
सजाएं उनके जीवन को बचाएं उन्हे बालाओं से
सुख दुःख से कराएं उन्हे अवगत
बनाएं उन्हे सृहद परिजन
नादानियों के कांटों में पनपते इन फूलों को
गुलजार हमें बनाना हैं
इन्हे सीखाना हैं मानव बनना
मशीनों के बीच न बन के रह जाए वे मशिनें
आज के परिपेक्ष में भी उन्हें अपने ही संस्कारों को आगे बढ़ाना हैं
जगानी हैं एक अगन आगे बढ़ने की
ऐसी लगन को दिल में लगाना हैं
भूले नहीं हम सभी अपने फर्ज को
उन्हे भी यही पाठ पढ़ाना हैं
चले वो अपने ही धर्म कर्म पर
भूले न मानवता को
इस प्यारी पृथ्वी को उन्हे ही सजना हैं
बाल दिवस को आओं मनाएं
नए जमाने के तरीकों से
हट जाए भले हम पुरानी लकीरों से
पर न भूले अपने रिवाजों को
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