अब की बार ऐसी हो दिवाली
अबकी बार मनाओ ऐसी दिवाली ।
गाँव - शहर में हो जाए खुशहाली । ।
प्रदूषण से हो जाए गलियाँ खाली ।
सब मिल कर मनाओ ऐसी दिवाली।।
लिछमी जी की पूजा करने वालों ।
भुरण् हत्या रोकें ऐसी हो दिवाली ।।
शोषण से मुक्त हो जाएगी हर नारी ।
रावणवृति हम त्यागें ऐसी हो दिवाली।।
बुराई को रोकें नैतिकता से नातां जोड़ें।
राम - राज्य हम लाएं ऐसी हो दिवाली ।।
जातिवाद-साम्प्रदायिकता की जड़ काटें ।
मानवता का पाठ पढाएं ऐसी हो दिवाली।।
पाखण्डी-लोगों व आतंक का हो अंत करें।
'नाचीज़"प्रेम-भाव हो ऐसी मनावें दिवाली।।
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