सफर - अनीता शर्मा
November 23, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
सफर
डगर मुश्किल भरी है।
सफर तो चुनौतियों भरा है मगर......
बढ़ते जाना बाधाओं से टकराकर।
मंजिल की राह का सफर
कब आसान होता है ?
एक और उम्मीद भर देती है........चाह
भर देती है नयी उमंग से।
जीवन बढ़ता जाता है अपने नये नये सफर पर।
जीवन चलायमान है अपने अंतिम पड़ाव की ओर।
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