Sharad purinima by Jay shree birmi

October 22, 2021 ・0 comments

 शरद पूर्णिमा

Sharad purinima by Jay shree birmi


अपने देश में ६ ऋतुएं हैं और हर ऋतु का अपना महत्व हैं।जिसमे बसंत का महत्व ज्यादा ही हैं।बसंत में बाहर आती हैं फूल खिलते हैं और बाग– बगीचे रंग रंग के फूलों से सज जाते हैं।कुदरत रंग और सुगंध से महक उठती हैं और एक आनंदमय लहर उठती हैं जो प्यार करने वालों के लिए एक मौसम बन जाता हैं अपनी उर्मियो को एक दूसरें को बताने के लिए।वैसे भी प्रेमियों में चांद का स्थान बहुत ही महत्व रखता हैं। प्रेमगितों में भी चांद का उल्लेख हमे देखने को मिलता हैं।सैंकड़ों गीतों में चांद के बखान करती पंक्तियां देखने को मिलती हैं।कभी वह प्रेम का साक्ष हैं तो कभी प्रेमिका की सूरत के साथ चांद की खूबसूरती को जोड़ा जाता हैं।

वैसे ही शरद ऋतु का महत्व भी कम नहीं हैं।बारिशें खत्म हो जाती हैं और तृप्त हुई धारा ठंडी हो जाती हैं एक तपिश थी जो धारा की वह शीतल हो जाती हैं,एक खुशनुमा सी शीत लहर में तन  और मन दोनों को सकून देती हैं और प्रारंभकाल हैं ये सर्द मौसम का।इसे धवल रंगी उत्सव भी कहते हैं।इस उत्सव का श्री कृष्ण के साथ भी गोपियों का अनुबंधन भी कहा जाता हैं।चीरहरण के बाद प्रसन्न हो गोपियों को श्री भगवन ने महारासलीला के आयोजन का वचन दिया था जो शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था।इसी दिन रासलीला का आनंद प्राप्त करने के लिए गोपियां व्रज को छोड़ वृंदावन आ गई थी,और यमुना तट पर श्री कृष्ण ने ऐसी बांसुरी बजाई कि गोपियां सुध–बुध भूल गई और कृष्ण प्रेम में खो गई थी।और अपनी लीला से प्रभु ने अनेकों रूप धारण कर सभी गोपियों ने कृष्ण  संग  रास  कर उनका जीवन धन्य कर लिया था।

कहा जाता हैं की शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मीजी भी विचरण करती हैं,और जो जागकर पूर्णिमा का स्वागत कर रहें हैं उन्हे धनवान बना देती हैं।

गुजरात में इस दिन रास खेला जाता हैं और समूह मिलन का आयोजन भी होता हैं।दूध में पौहे भिगो कर चांदनी में रख कर रात के १२ बजे खाए जाते हैं,मेथी के पकोड़ो के साथ।कई लोग  दूधपोहे की बजाय खीर भी बनाके चांदनी में रखते हैं।

इस चांदनी का महत्त्व कम नहीं हैं,आंखो का तेज बनाए रखने के लिए चांदनी के उजाले में सूई में धागा पिरोने की भी प्रथा हैं।लोग इसी चांदनी में  आंखों में लगाने वाला सुरमा भी बनाते हैं।और भी कई प्रसंगों से जुड़ी हुई शरद पूर्णिमा का हमारे जीवन में एक महत्व का स्थान रहा हैं और रहेगा।


जयश्री बिरमी
अहमदाबाद

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